अध्याय-6

कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान राजनीति विज्ञान अध्याय-6

राजनीतिक दल

राजनीतिक दल

लोगों का ऐसा संगठित समूह जो चुनाव लड़ने और सरकार में राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से काम करता है।

एक राजनीतिक पार्टी लोगों को इस बात का भरोसा दिलाती है उसकी नीतियाँ अन्य पार्टियों से बेहतर हैं । वह चुनाव जीतने की कोशिश करती है ताकि अपनी नीतियों को लागू कर सके।

राजनीतिक दल के घटक

  • नेता
  • सक्रिय सदस्य
  • अनुयायी या समर्थक

राजनीतिक दल का कार्य

  • चुनाव लड़ना
  • नीतियों और कार्यक्रमों को मतदाता के सामने रखना
  • कानून निर्माण
  • सरकार बनाना और सरकार चलाना
  • विरोधी पक्ष की भूमिका निभाना
  • मुद्दों को उठाना तथा आंदोलन की शुरूआत
  • कल्याण कार्यक्रमों को लोगों तक पहुँचाना
  • जनमत का निर्माण

1.चुनाव लड़ना :- राजनीतिक पार्टी चुनाव लड़ती है।एक पार्टी अलग अलग निर्वाचन क्षेत्रों के लिये अपने उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारती है।

  1. नीति बनाना :- हर राजनीतिक पार्टी जनहित को लक्ष्य में रखते हुए अपनी नीति बनाती है । वह अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को जनता के सामने प्रस्तुत करती है । इससे जनता को इस बात में मदद मिलती है कि वह किसी एक पार्टी का चुनाव कर सके।

3.कानून बनाना :- हम जानते हैं कि विधायिका में समुचित बहस के बाद ही कोई कानून बनता है । विधायिका के ज्यादातर सदस्य राजनीतिक पार्टियों के सदस्य होते हैं इसलिए किसी भी कानून के बनने की प्रक्रिया में राजनीतिक पार्टियों की प्रत्यक्ष भूमिका होती है।

4.सरकार बनाना :- जब कोई राजनीतिक पार्टी सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव जीतती है तो वह सरकार बनाती है । सत्ताधारी पार्टी के लोग ही कार्यपालिका का गठन करते हैं । सरकार चलाने के लिये विभिन्न राजनेताओं को अलग अलग मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी जाती है।

5.जनमत का निर्माण :- राजनीतिक पार्टी का एक महत्वपूर्ण काम होता है जनमत का निर्माण करना । इसके लिये वे विधायिका और मीडिया में ज्वलंत मुद्दों को उठाती हैं और उन्हें हवा देती हैं । पार्टी के कार्यकर्ता पूरे देश में फैलकर अपने मुद्दों से जनता को अवगत कराते हैं।

  1. पक्ष या विपक्ष की भूमिका :- जो पार्टी सरकार बनाती है वो पक्ष और जो पार्टी सरकार नहीं बना पाती है उसे विपक्ष की भूमिका निभानी पड़ती है।

लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका

  • सरकार की नीतियों पर नज़र रखना।
  • सरकार की गलत नीतियों का विरोध करना।
  • सराकर चलाने में सकरात्मक भूमिका निभाना

राजनीतिक दल :-

लोकतंत्र में नागरिकों का कोई भी समूह राजनीतिक दल बना सकता है।

भारत में चुनाव आयोग में 750 पंजीकृत दल है।

किसी देश में तीन तरह की पार्टी हो सकती है

  • एकदलीय शासन प्रणाली :- एक ही दल को सरकार को बनाने और चलाने की अनुमति होती है।

चीन और क्यूबा

  • दो दलीय शासन प्रणाली :- सत्ता आमतौर पर दो प्रमुख दलों के बीच हस्तान्तरित होती रहती है।

अमरीका और ब्रिटेन

• बहुदलीय शासन प्रणाली :- अनेक दल सत्ता पाने के लिए कोशिश करते हैं , सत्ता में आने के लिए ये दल या तो अपने दम पर या दूसरों के साथ गठबंधन करके सत्ता प्राप्त करते हैं ?

राजनीतिक दल की जरूरत क्यों?

  • आधुनिक लोकतंत्र राजनीतिक दल के बिना नहीं चल सकता।
  • अगर दल न हो तो सारे उम्मीदवार स्वतंत्र या निर्दलीय होंगे तब इनमें से कोई बड़े नीतिगत बदलाव के बारे में लोगों से चुनावी वायदे नहीं पर पाएगा।
  • सरकार तो बन जाएगी पर उसकी उपयोगिता संदिग्ध होगी।
  • प्रतिनिधित्व पर आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए आवश्यक।
  • देश के प्रति उत्तरदायी सरकार के लिए आवश्यक।
  • सरकार की नीतियों पर अंकुश लगाने के लिए।
  • सरकार का समर्थन करने एवं उस पर अंकुश रखने हेतु।
  • जब समाज बड़े और जटिल हो जाते हैं तब उन्हें विभिन्न मुद्दों पर अलग – अलग विचारों को समेटने और सरकार की नज़र में लाने के लिए राजनीतिक दलों की जरूरत होती है।

दलीय व्यवस्थाएँ

एक दलीय व्यवस्था :- सिर्फ एक ही दल को सरकार बनाने और चलाने की अनुमति होती है उदाहरण :- चीन

द्विदलीय व्यवस्था :- सत्ता आमतौर पर दो मुख्य दलों के बीच बदलती रहती है। उदाहरण :- यू.एस.ए., यू.के

बहुदलीय व्यवस्था :- जब कई दलों में राजनीतिक सत्ता पाने के लिए होड़ लगी रहती है तथा दो से अधिक पार्टी के सत्ता हासिल करने की संभावना रहती है उदाहरण :- भारत

भारत में भी बहुदलीय गठबंधन व्यवस्था है।

  • राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन या राजग National Democratic Alliance or NDA) भारत में एक राजनीतिक गठबन्धन है। इसका नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी करती है। इसके गठन के समय इसके 13 सदस्य थे।
  • संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन या संप्रग (United Progressive Alliance or UPA) भारत में एक राजनीतिक गठबन्धन है। इसका नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस करती है।

निर्वाचन आयोग :-

देश की हर पार्टी को निर्वाचन आयोग में अपना पंजीकरण कराना पड़ता है।

  • इन्हें चुनाव चिह्न दिया जाता है।
  • आयोग पार्टी को अलग चुनाव चिन्ह देता है जिसे मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल कहा जाता है।

राष्ट्रीय पार्टी :-

जब कोई पार्टी चार राज्यों के लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में कुल वैध मतों का कम से कम छह प्रतिशत मत हासिल करती है और लोकसभा चुनाव में कम से कम चार सीट पर जीत दर्ज करती है , तो उन्हें राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता मिल जाती है।

भारत में 2020 तक भारत में राजनीतिक दलों को तीन समूहों :-

राष्ट्रीय दल ( संख्या 8) ,क्षेत्रीय दल (संख्या 53) और गैर मान्यता प्राप्त दलों (संख्या 2044) के रूप में बाँटा गया है |

सभी राजनीतिक दल जो स्थानीय स्तर, राज्य स्तर या राष्ट्रीय स्तरपर चुनाव लड़ने के इच्छुक होते हैं उनका भारतीय निर्वाचन आयोग (EIC) में पंजीकृत होनाआवश्यक है.

राजनीतिक दल

गठबंधन या मोर्चा

किसी बहुदलीय व्यवस्था में जब कई दल चुनाव लड़ने तथा जीतने के उद्देशय से साथ आते है तो इस संगठन को गठबंधन या मोर्चा कहते है।

गठबंधन की सरकार

जब चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो या दो से अधिक राजनीतिक दल विकास के साझा कार्यक्रम के साथ मिलकर सरकार चलाते हैं। इसे गठबंधन की सरकार कहते हैं।

भारतीय लोकतंत्र में गठबंधन की सरकारों की भूमिका :-

भारत में 1989 से लेकर 2014 तक केन्द्र में गठबंधन की सरकार रही है।

  • गठबंधन की सरकारों के कारण राष्ट्रीय दल क्षेत्रीय दलों की अनदेखी नहीं कर सकते हैं।
  • केन्द्रीय सरकारों को सभी क्षेत्रों के विकास पर ध्यान देना होगा।

कितने राजनीतिक दल?

  • कोई देश यह तय नहीं कर सकता।
  • यह एक लंबे अंतराल में विकसित होता है।
  • निर्भर करता है इस देश के समाज की प्रकृति तथा अन्य सामाजिक और धार्मिक विभाजन।
  • निर्भर करता है उस देश का राजनीतिक इतिहास तथा चुनाव प्रणाली पर।
  • इसे आसानी से बदला नहीं जा सकता।

क्षेत्रीय दल

जब कोई दल राज्य विधानसभा के चुनाव में पड़े कुल मतों का 6 फीसदी या उससे अधिक हासिल करती है और कम से कम दो सीटों पर जीत हासिल करती है तो उसे राज्य के राजनीतिक दल के रूप में मान्यता मिलती है।

राष्ट्रीय दल

अगर कोई दल लोकसभा चुनाव में पड़े कुल वोट का अथवा चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में पड़े कुल वोटों का 6 प्रतिशत हासिल करता है और लोकसभा चुनाव में कम से कम चार सीटों पर जीत दर्ज करता है तो उसे राष्ट्रीय दल की मान्यता दी जाती है।

राष्ट्रीय दल तथा क्षेत्रीय दल में अंतर

राजनीतिक दल

भारत मे आजादी के बाद तक के दल :-

  • आजादी के बाद के शुरुआती दिनों से लेकर 1977 भारत में केंद्र में केवल कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती थी।
  • 1977 से 1980 के बीच जनता पार्टी की सरकार बनी।
  • उसके बाद 1980 से 1989 तक कांग्रेस की सरकार बनी।
  • फिर दो साल के अंतराल के बाद फिर से 1991 से 1996 तक कांग्रेस की सरकार रही।
  • फिर अगले 8 वर्षों तक गठबंधन की सरकारों का दौर चला।
  • 2004 से लेकर 2014 तक कांग्रेस पार्टी की ऐसी सरकार रही जिसमें अन्य पार्टियों का गठबंधन था।
  • 2014 में 18 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला और वह अपने दम पर सरकार बना पाई।

भारत मे दल

  • 2017 में देश में सात दल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त थे।
  • नवीनतम जानकारी के अनुसार 2019 में देश में सात दल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त थे।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस :-

  • इसे कांग्रेस पार्टी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बहुत पुरानी पार्टी है जिसकी स्थापना 1885 में हुई थी।
  • भारत की आजादी में इस पार्टी की मुख्य भूमिका रही है।
  • भारत की आजादी के बाद के कई दशकों तक कांग्रेस पार्टी ने भारतीय राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाई है।
  • आजादी के बाद के सत्तर वर्षों में पचास से अधिक वर्षों तक इसी पार्टी की सरकार रही है।

भारतीय जनता पार्टी :-

  • इस पार्टी की स्थापना 1980 में हुई थी।
  • इस पार्टी को भारतीय जन संघ के पुनर्जन्म के रूप में माना जा सकता है।
  • यह पार्टी पहली बार 1998 में सत्ता में आई और 2004 तक शासन किया।
  • उसके बाद यह पार्टी 2014 में सत्ता में आई है।

बहुजन समाज पार्टी :-

  • इस पार्टी की स्थापना कांसी राम के नेतृत्व में 1984 में हुई थी।
  • यह पार्टी बहुजन समाज के लिये सत्ता चाहती है।
  • बहुजन समाज में दलित, आदिवासी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग आते हैं। 
  • इस पार्टी की पकड उत्तर प्रदेश में बहुत अच्छी है और यह उत्तर प्रदेश में दो बार सरकार भी बना चुकी है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – मार्क्सवादी :-

  • इस पार्टी की स्थापना 1964 में हुई थी।
  • इस पार्टी की मुख्य विचारधारा मार्क्स और लेनिन के सिद्धांतों पर आधारित है।
  • यह पार्टी समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता का समर्थन करती है।
  • इस पार्टी को पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा में अच्छा समर्थन प्राप्त है ; खासकर से गरीबों, मिल मजदूरों, किसानों, कृषक श्रमिकों और बुद्धिजीवियों के बीच।
  • लेकिन हाल के कुछ वर्षों में इस पार्टी की लोकप्रियता में तेजी से गिरावट आई है और पश्चिम बंगाल की सत्ता इसके हाथ से निकल गई है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी :-

  • इस पार्टी की स्थापना 1925 में हुई थी।
  • इसकी नीतियाँ सीपीआई ( एम ) से मिलती जुलती हैं।
  • 1964 में पार्टी के विभाजन के बाद यह कमजोर हो गई।
  • इस पार्टी को केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब, आंध्र प्रदेश और तामिलनाडु में ठीक ठाक समर्थन प्राप्त है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी :-

  • कांग्रेस पार्टी में फूट के परिणामस्वरूप 1999 में इस पार्टी का जन्म हुआ था।
  • यह पार्टी लोकतंत्र, गांधीवाद, धर्मनिरपेक्षता, समानता, सामाजिक न्याय और संघीय ढाँचे की वकालत करती है।
  • यह महाराष्ट्र में काफी शक्तिशाली है और इसको मेघालय, मणिपुर और असम में भी समर्थन प्राप्त है।

राजनीति के दलों के समक्ष चुनौतियाँ

  • वंशवाद की चुनौती
  • पारदर्शिता का अभाव
  • आंतरिक लोकतंत्र का अभाव
  • विकल्पर्हनिता
  • आपराधिक तत्वों की धुसपैठ

राजनीतिक दलों को कैसे सुधारा जा सकता है

हाल में उठाए गए कदम :-

  • दल बदल विरोधी कानून।
  • शपथपत्र के माध्यम से अपनी संपति तथा अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों की जानकारी अनिवार्य।
  • सांगठनिक चुनाव कराना तथा आयकर रिटर्न भरता जरूरी।

भविष्य के लिए सुझाव :-

  • सदस्यों का रिकार्ड रखना अनिवार्य।
  • महिलाओं के लिए रिजर्व सीट।
  • चुनाव का खर्च सरकार उठाए। 
  • लोगों की भागीदारी बढाकर।

दल बदल

किसी दल विशेष से विधायिका के लिए निर्वाति होने के बाद प्रतिनिधि का इस दल को छोड़कर किसी अन्य दल में चले जाना।

शपथपत्र

किसी अधिकारी को सौंपा गया ऐसा दस्तावेज जिसमें कोई व्यक्ति अपने बारे में निजी सूचनाएँ देता है तथा उसके साथ होने की शपथ खाता है।

राजनीतिक पक्षपात

पार्टी समाज के किसी एक हिस्से से संबंधित होता है इसलिए उसका नजरिया समाज के उस हिस्से या वर्ग की तरफ झुका होता है।

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