अध्याय-1

कक्षा 12 Art भूगोल अध्याय-1

जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

जनसंख्या वितरण :-

  • जनसंख्या के वितरण का अर्थ है कि किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या कैसे वितरित की जाती है । भारत में, जनसंख्या वितरण का स्थानिक पैटर्न बहुत आसमान है । चूंकि कुछ क्षेत्र बहुत कम आबादी वाले हैं, जबकि कुछ अन्य हैं । 
  • अब तक हमने भारत के प्राकृतिक संसाधनों के बारे में जानकारी हासिल की। इन संसाधनों के अन्तर्गत भूमि, मृदा, जल, वन, खनिज तथा वन्य-जीव इत्यादि आते हैं। हमने इन उपरोक्त संसाधनों के वितरण एवं दोहन की दर एवं दिशा तथा विकास के कार्यक्रमों में उनकी उपयोगिता के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। इन्हीं संसाधनों का यहाँ के देशवासियों के सनदर्भ में अध्ययन करना है। लोगों या जनता से अभिप्राय यहाँ की जनसंख्या को केवल उपभोक्ता की संख्या के रूप में ही नहीं बल्कि उन्हें यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों के प्रबन्धक के रूप में मानने से है।

इन राज्यों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है :- 

  1. उच्च जनसंख्या वाले :- राज्य उत्तर प्रदेश (उच्चतम जनसंख्या), महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात और आंध्र प्रदेश इन राज्यों में एक साथ 76 % जनसंख्या रहती है 
  2. मध्यम जनसंख्या वाले :- राज्य असम, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़, केरल, पंजाब, गोवा 
  3. कम जनसंख्या वाले राज्य और जनजातीय क्षेत्र :- जैसे जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सभी पूर्वोत्तर राज्य (असम को छोड़कर) और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली को छोड़कर

जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक :-

भौगोलिक कारक :-

  • जल की उपलब्धता  
  • भू आकृति  
  • जलवायु  
  • मृदा 

आर्थिक कारक :-

  • खनिज
  • नगरीकरण 
  • औद्योगिकरण 

 सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक :-

  • धार्मिक महत्व 
  • अशांति 
  • खराब सामाजिक वातावरण 
  • राजनीतिक कारण :- 
  • अस्थिर राजनीतिक स्थिति 
  • खराब कानूनी व्यवस्था

भारत में जनसंख्या वितरण घनत्व को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक :-

  • उच्चावच :- जनसंख्या के बसाव के लिए मैदान अधिक उपयुक्त होते हैं पर्वतीय व पठारी या घने वर्षा भागों में जनसंख्या कम केंद्रित होती है उदाहरण के लिए भारत में उत्तरी मैदान घना बसा है जबकि उत्तर – पर्वतीय भाग तथा उत्तर – पूर्वी वर्षा वाले भागों में जनसंख्या घनत्व कम है 
  • जलवायु :- जलवायु जनसंख्या वितरण को प्रभावित करती है थार मरूस्थल में गर्म जलवायु और पठारी भाग व हिमालय के ठंडे क्षेत्र सम – जलवायु वाले क्षेत्रों की अपेक्षा कम घने बसे है 
  • मृदा :- मृदा कृषि को प्रभावित करती है उपजाऊ मृदा वाले क्षेत्रों में कृषि अच्छी होने के कारण इसलिए ये भाग अधिक घने बसे है उदाहरण – उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि 
  • जल की उपलब्धता :- जल की उपलब्धता बसावट को आकर्षित करती है वे अधिक घने बसे होते हैं जैसे : – सतलुज – गंगा का मैदान, तटीय मैदान आदि

जनसंख्या घनत्व :-

  • जनसंख्या घनत्व की गणना करने के लिए, जनसंख्या को क्षेत्रफल से विभाजित किया जाता है। किसी भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्या है को जनसंख्या घनत्व कहते हैं।
  • जनसंख्या घनत्व को अंग्रेजी में population density कहते हैं. पापुलेशन डेंसिटी को जनसंख्या का सबसे महत्वपूर्ण सूचनाओं के रूप में देखा जाता है. इस सूचकांक से यह पता चलता है कि, किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में कितने लोग रहते हैं.
  • जैसा कि शायद आप जानते होंगे भारत के सभी राज्यों में से सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व बिहार राज्य का है. अगर भारत के 9 केंद्र शासित प्रदेशों में देखें तो दिल्ली राज्य का सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व है.

भारत में जनसंख्या घनत्व :-

  1. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या की घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है
  2. राज्य स्तर पर जनसंख्या के घनत्व में बहुत विषमताएं पाई जाती है अरूणाचल प्रदेश में 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है जबकि बिहार में यह घनत्व 1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है 
  3. केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली का घनत्व सबसे अधिक 11320 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हैं जबकि अंडमान निकोबार द्वीप समूह में केवल 46 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है 
  4. प्रायद्वीपीय भारत में केवल केरल राज्य का घनत्व सबसे अधिक 860 है इसके बाद तमिलनाडु 555 का दूसरा स्थान है 
  5. पर्यावरण की विपरीत दशाओं के कारण उत्तरी तथा उत्तरी – पूर्वी भारतीय राज्यों की जनसंख्या घनत्व बहुत कम है जबकि मध्य प्रदेश भारत तथा प्रायद्वीपीय भारत में मध्य दर्जे का जनसंख्या घनत्व पाया जाता है

जनसंख्या वृद्धि :-

  • जनसंख्या वृद्धि किसी भी क्षेत्र में लोगों की संख्या बढ़ने को कहा जाता है। पूरे दुनिया में मनुष्य की जनसंख्या हर साल लगभग 8.3 करोड़ या 1.1% की दर से बढ़ती जा रही है। वर्ष 1800 को पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग एक अरब थी, जो 2017 तक बढ़ कर 7.6 अरब हो गई है। आगे भी इसकी संख्या में बढ़ाव की ही उम्मीद है और ये अंदाजा लगाया गया है कि 2030 के मध्य तक ये आबादी 8.6 अरब हो जाएगी और 2050 तक 9.8 अरब तक हो जाएगी। 2100 तक इसकी आबादी 11.2 अरब तक हो सकती है।

जनसंख्या की वास्तविक वृद्धि की गणना :-

  • जनसंख्या वृद्धि किसी भी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्या में निश्चित अवधि में आए परिवर्तन को व्यक्त करती है। जनसंख्या परिवर्तन के तीन मुख्य कारक है जन्म – दर, मृत्यु दर और प्रवास। एक वर्ष के जन्म दर और मृत्यु दर के अन्तर से वार्षिक वृद्धि दर ज्ञात होती है ।
  • जनसंख्या की वास्तविक वृद्धि = (जन्म – मृत्यु) + (अप्रवास – उत्प्रवास)

जनसंख्या वृद्धिदर :-

किसी विशेष क्षेत्र में विशेष समयावधि में होने वाले जनसंख्या परिवर्तन को जब प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है उसे जनसंख्या वृद्धिदर कहते हैं 

भारतीय जनसंख्या वृद्धि की चार प्रवृत्तियाँ :-

प्रावस्था – 1 (1901- 1021)

स्थिर वृद्धि की अवधि (1921 से पहले) :- 1901 से 1921 की अवधि को भारत की जनसंख्या की वृद्धि की स्थिर अवस्था कहा जाता है, क्योंकि इस अवधि में वृद्धि दर अत्यंत निम्न थी यहां तक कि 1911 – 1921 के दौरान ऋणात्मक वृद्धि दर रही है जन्म दर मृत्यु दर दोनों ऊँचे थे जिससे वृद्धि दर निम्न रही

प्रावस्था – 2 (1921-51)

निरंतर वृद्धि की अवधि (1921 – 1951) :- इस अवधि में जनसंख्या वृद्धि निरंतर बढ़ती गई क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि के कारण मृत्यु दर में कमी आई इसीलिए इस अवधि को मृत्यु प्रेरितवृद्धि कहा जाता है

प्रावस्था – 3 (1951-81)

तीव्र वृद्धि की अवधि (1951 – 1981) :- इस अवधि को भारत में जनसंख्या विस्फोट की अवधि के नाम से भी जाना जाता है विकास कार्यों में तेजी, बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ, बेहतर जीवन स्तर के कारण मृत्यु दर में तीव्र हास और जन्म दर में उच्च वृद्धि देखी गई 

प्रावस्था 4 (1981 से आज तक)

घटती वृद्धि की अवधि (1981 से आज तक) :- 1981 से वर्तमान तक वैसे तो देश की जनसंख्या की वृद्धि दर ऊँची बनी रही है परन्तु इसमें धीरे – धीरे मंद गति से घटने की प्रवृत्ति पाई जाती है विवाह की औसत आयु में वृद्धि, स्त्रियों की शिक्षा में सुधार व जनसंख्या नियन्त्रण के कारगर उपायों ने इस वृद्धि को घटाने में मदद की है

जनसंख्या संघटन :-

जनसंख्या संघटन जनसंख्या संगठन का अभिप्राय एक देश की जनसंख्या का उसकी विशेषताओं जैसे कि आयु लिंग व्यवसाय आदि के आधार पर वर्णन करना जनसंख्या संघटन कहलाता है

भाषाई वर्गीकरण :-

भारत में बोली जाने वाली भाषाओं को मुख्य रूप से 4 परिवारों में बांटा जाता है :-

  • भारतीय – यूरोपीय (आय) 
  • द्रविड़ 
  • आस्ट्रिक 
  • चीनी – तिब्बत

भाषा परिवारों की विशेषताएं  :-

भारतीय यूरोपीय (आर्य) :-

  • कुल जनसंख्या का लगभग तीन चौथाई भाग आर्य भाषाएं बोलता है 
  • इस परिवार की भाषाओं का संकेद्रण पूरे उत्तरी भारत में हैं इसमें हिन्दी मुख्य है 

द्रविड़ भाषा परिवार :-

  1. कुल जनसंख्या का लगभग पांचवा भाग द्रविड़ भाषाएं बोलता है
  2. इस परिवार की भाषाएं मुख्यतः प्रायद्वीपीय पठार तथा छोटा पठार के क्षेत्रों में बोली जाती है इस परिवार में तेलुगु, तमिल, कन्नड़ तथा मलयालम मुख्य भाषाएं हैं

आर्थिक स्तर की दृष्टि से भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों में बांट सकते है  :-

  1. मुख्य श्रमिक :- वह व्यक्ति जो एक वर्ष में कम से कम 183 दिन कामा करता है, मुख्य श्रमिक कहलाता है
  2. सीमांत श्रमिक :- वह व्यक्ति जो एक वर्ष में 183 दिनों से कम दिन काम करता है, सीमांत श्रमिक कहलाता है 
  3. अश्रमिक :- जो व्यक्ति बेरोजगार होता है उसे अश्रमिक कहते हैं

देश की जनसंख्या में किशोरों का क्या योगदान :-

  • 10 – 19 वर्ष की आयु के लोगों को किशोर कहते है 
  • किशोर जनसंख्या का मूल्य अत्यधिक है, भविष्य में उनसे आशाएँ होती है इन पर देश का विकास व उन्नति निर्भर होती है किशोर वर्ग जल्दी सुभेद्य हो जाता है, उनका मार्गदर्शन करना आवश्यक होता है 

किशोरों के मार्गदर्शन के लिए सरकार के द्वारा उठाए गए कदम :-

  • राष्ट्रीय युवा नीति 2003 के अंतर्गत युवाओं के चौमुखी विकास पर बल दिया 
  • देशभक्ति व उत्तरदायी नागरिकों के गुणों का विकास करना 
  • युवाओं की प्रभावी सहभागिता और सुयोग्य नेतृत्व के संदर्भ में उनको सशक्त करना
  • महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण पर बल दिया है

राष्ट्रीय युवा नीति :-

संयोग से 4 मई 2022 को खेलो इंडिया शुरू होने के दो दिन बाद, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने 6 मई 2022 को एक मसौदा राष्ट्रीय युवा नीति 2021 को सार्वजनिक पटल पर जारी किया। मंत्रालय 2021 में एक युवा नीति तैयार करता है, इसे 29 अप्रैल 2022 को अंतिम रूप देता है, 6 मई 2022 को इसे सार्वजनिक डोमेन में जारी करता है।

राष्ट्रीय युवा नीति मुख्य उद्देश्य :-

  • युवाओं व किशोरों के चहुमुखी विकास पर बल देना 
  • उनके गुणों का बेहतर मार्गदर्शन देना, ताकि देश के रचनात्मक विकास में वे अपना योगदान दे सकें 
  • उनमें देशभक्ति व उत्तरदायी नागरिकता के गुणों को बढ़ाना

आर्थिक गतिविधियों में स्त्रियों की कम प्रतिभागिता के कारण :-

  • संयुक्त परिवार 
  • निम्न सामाजिक व शैक्षिक स्तर 
  • बारंबार शिशु जन्म 
  • रोजगार के सीमित अवसर

समाज के समक्ष किशोरों की प्रमुख चुनौतियाँ :-

  1. निरक्षरता :- अधिकतर किशोर वर्ग, विशेषतम स्त्रियां निरक्षर हैं जिसके कारण वह अपने व परिवार के विकास में योगदान नहीं दे पाती 
  2. औषध दुरूपयोग :- अधिकतर किशोर शिक्षा पूरी किए बिना ही विद्यालय छोड़े देते हैं और औषध या मदिरापान के कारण रास्ता भटक जाते है ऐसे लोग समाज के लिए अभिशाप बन जाते हैं और सामाजिक परिवेश को बिगाड़ते हैं
  3. विवाह की निम्न आयु :- विवाह की निम्न आयु उच्च मातृ मृत्यु दर का कारण बनती है जो आगे जाकर लिंगानुपात को प्रभावित करती है।
  4. समुचित मार्गदर्शन का अभाव :- किशारों को समुचित मार्गदर्शन देने के लिए किसी ठोस कदम का अभाव है जिस कारण वे मार्ग से भटक जाते हैं
  5. अन्य चुनौतियां :- HIV, AIDS किशोरी माताओं से उच्च मातृ मृत्यु दर आदि

भारत के आयु पिरामिड की विशेषताएँ :-

  • उच्च आयु – वर्ग में पिरामिड संकरा है 
  • 22 % जनसंख्या, 50 वर्ष की आयु तक पहुँच पाती है 
  • 60 वर्ष की आयु के लोगों की जनसंख्या 12 % है
  • 40 – 49 वर्ष आयु वर्ग में 10 % जनसंख्या पाई जाती है 

भारत में लिंग अनुपात घटने के चार कारण :-

  • लड़कियों की अपेक्षा लड़कों के जन्म को प्राथमिकता
  • कन्या भ्रूण हत्या 
  • कुपोषण के कारण बाल्यावस्था में ही कन्या शिशुओं की मृत्यु हो जाती है 
  • समाज में स्त्रियों को कम सम्मान प्राप्त होना उनके स्वास्थ्य व पोषण पर ध्यान न दिया जाना

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