अध्याय 2
कक्षा 12 Science भौतिकी अध्याय 2
स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता
वैद्युत विभव (Electric Potential)
विद्युत विभव : विद्युत क्षेत्र में एक बिंदु से परीक्षण चार्ज q लाने में प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध किया गया कार्य उस बिंदु पर विद्युत विभव का प्रतिनिधित्व करता है। इसे V से दर्शाया जाता है।
विद्युत विभव की इकाई
यदि एक परीक्षण आवेश q को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में प्रतिकर्षण बल F के विरुद्ध W कार्य करना पड़े तो उस बिन्दु पर वैद्युत विभव
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चूँकि W तथा q अदिश राशियाँ हैं, अत : विभव भी एक अदिश राशि है।
वैद्युत विभव का मात्रक जूल / कूलॉम है, इसे वोल्ट (V) भी कहते हैं।
विद्युत विभव का मात्रक
विद्युत विभव का S.I. मात्रक वोल्ट = जूल/कूलाम होता है
विद्युत विभव का विमीय सूत्र
इसका विमीय सूत्र (विमा) [M1L2T-3I-1] होता है
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विद्युत विभव के गुण
- विधुत विभव एक अदिश राशि है इसका मान धनात्मक, ऋणात्मक अथवा शून्य भी हो सकता है।
- विद्युत क्षेत्र की दिशा में विभव घटता है।
- दो समान और विपरीत आवेशों के बीच एक बिंदु पर, विद्युत विभव शून्य होती है लेकिन विद्युत क्षेत्र शून्य नहीं होता है।
- कुल विद्युत विभव का मान सभी विभवों के योग के बराबर होता है V = V1+ V2+ V3 + V4 + . .
वैद्युत विभवान्तर (Electric Potential Difference)
वैद्युत क्षेत्र में किसी परीक्षण आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किये गये कार्य तथा परीक्षण आवेश के मान की निष्पत्ति को उन बिन्दुओं के बीच विभवान्तर कहते हैं।
अत : यदि परीक्षण आवेश q को बिन्दु B से A तक ले जाने में किया गया कार्य W हो, तो A व B के बीच विभवान्तर
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चूँकि कार्य W तथा आवेश q दोनों ही अदिश राशियाँ हैं, अत : विभवान्तर VA – VB भी एक अदिश राशि होगी। वैद्युत विभवान्तर का मात्रक विभव के मात्रक के समान है वोल्ट है।
समविभव पृष्ठ (Equipotential Surface)
समविभव पृष्ठ किसी वैद्युत क्षेत्र में स्थित वह पृष्ठ है, जिसके प्रत्येक बिन्दु पर वैद्युत विभव का मान समान होता है।
- समविभव पृष्ठ तलीय, ठोस आदि हो सकता है, परन्तु केवल एक बिन्दु नहीं हो सकता।
- दो समविभव पृष्ठ एक – दूसरे को कभी नहीं काटते हैं।
- आवेशित चालक का पृष्ठ सदैव समविभव पृष्ठ होता है।
- एक बिन्दु आवेश q को समविभव पृष्ठ पर दो बिन्दुओं के बीच चलाने में किया गया कार्य शून्य होता है।
- विलगित बिन्दु आवेश के कारण समविभव पृष्ठ गोलीय होता है ।
- समान वैद्युत क्षेत्र में समविभव पृष्ठ तलीय होते हैं।
- रेखीय आवेश के कारण समविभव पृष्ठ बेलनाकार होता है।
वैद्युत धारिता ((Electrical Capacitance)
किसी वस्तु की धारिता का तात्पर्य वस्तु द्वारा आवेश तथा ऊर्जा संचय करने की क्षमता से है।
जब किसी वस्तु को विलगित आवेश q दिया जाता है,तो इसके विभव में परिवर्तन हो जाता है। यह विभव परिवर्तन V । वस्तु को दिये गये आवेश के अनुक्रमानुपाती होता है
अर्थात्
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- धारिता एक अदिश राशि है।
- धारिता का SI मात्रक फैरड है।
- इसका विमीय सूत्र [ M-1L-2T4A2 ] है।
यदि धारिता C के एक संधारित्र को आवेश q देकर विभव V तक आवेशित किया जाता है तो चालक की स्थितिज ऊर्जा के
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संधारित्र (Capacitors)
संधारित्र एक ऐसी युक्ति, प्रबन्ध अथवा समायोजन है जिसके द्वारा किसी चालक के आकार में परिवर्तन किये बिना, चालक की धारिता बढ़ायी जा सकती है तथा चालक पर वैद्युत आवेश एवं ऊर्जा की अधिक मात्रायें संचित की जा सकती हैं।
संधारित्र की धारिता (Capacitance of Capacitors)
संधारित्र की धारिता का तात्पर्य, उस संधारित्र द्वारा वैद्युत ऊर्जा (स्थितिज ऊर्जा के रूप में) एवं संधारित्र की प्रत्येक प्लेट पर आवेश संचय करने की क्षमता से है।
संधारित्र के किसी एक चालक पर उपस्थित आवेश q के परिमाण तथा इसके दोनों चालकों के बीच विभवान्तर V के परिमाण के अनुपात को संधारित्र की धारिता C कहते हैं। अर्थात्
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संधारित्र में संचित ऊर्जा (Energy Stored in Capacitor)
संधारित्र को आवेशित करने के लिये प्रतिकर्षण बलों के विरुद्ध कुछ कार्य करना पड़ता है यह कार्य संधारित्र की प्लेटो के मध्य के माध्यम में संचित हो जाता है । इसे ही संधारित्र की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा कहते हैं ।
यदि संधारित्र की धारिता C प्लेटों के बीच विभान्तर V, प्लेट पर आवेश q तथा वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता E हो तो संधारित्र में संचित ऊर्जा
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जहाँ τ(tau) प्लेटों के बीच भरे परवैद्युत माध्यम का आयतन है ।
समान्तर प्लेट संधारित्र (Parallel Plate Capacitor)
समान्तर प्लेट संधारित्र समान आकार की एक निश्चित दूरी से पृथक दो धात्विक प्लेटों से बना होता है । इसके एक सिरे पर + q आवेश तथा दूसरी प्लेट पर -q आवेश होता है ।
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता
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संधारित्रों का संयोजन (Combination of Capacitors)
संधारित्रों को प्रमुखत : दो प्रकार से जोड़ा जाता है
(1) श्रेणी संयोजन (Series Combination)
श्रेणी संयोजन में सभी प्लेटों पर आवेश समान होता है तथा यह सेल से प्रवाहित आवेश के समान होता है । यदि n संधारित्र श्रेणी क्रम में जुड़े हों, तब तुल्य धारिता
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(2) समान्तर संयोजन (Parallel Combination)
समान्तर संयोजन में प्रत्येक संधारित्र के सिरों पर विभवान्तर समान होता है तथा कुल आवेश उनकी धारिताओं के अनुपात में वर्गीकृत होता है।
यदि n संधारित्र समान्तर क्रम में जुड़े हों तब
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