अध्याय-1
कक्षा 6 गणित अध्याय-1
अपनी संख्याओं की जानकारी
संख्या
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वो गणितीय वस्तुएँ जिनका उपयोग गिनने, मापने और नामकरण करने के लिए किया जाता हैं उन्हें संख्या कहते हैं।
अंकगणित में कुल 10 संख्याएँ (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9) होती हैं। जिनकी मदद से बड़ी-बड़ी संख्याएँ बनती हैं। शून्य को पूर्ण संख्या माना गया हैं शून्य जिस संख्या के पीछे लग जाता हैं उस संख्या का मान 10 गुना बढ़ जाता हैं।
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- 2 के पीछे 0 लगाने से 20 (बीस) हो जाता हैं।
- 5 के पीछे 0 लगाने से 50 (पचास) हो जाता हैं।
- 10 के पीछे 00 लगाने से 1000 (एक हजार) हो जाता हैं।
- 20 के पीछे 000 लगाने से 20,000 (बीस हजार) हो जाता हैं।
- 500 के पीछे 0000 लगाने से 50,00000 (पचास लाख) हो जाता हैं।
संख्या को अंग्रेजी में Number कहाँ जाता हैं।
संख्याओं की तुलना
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संख्याओं की तुलना कि कौन सी संख्या बड़ी है अथवा कौन सी छोटी, इसे बिभिन्न प्रकार के आकलन से ज्ञात कर सकते हैं:
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(i). 92, 392, 4456, 89742
- 89742 बड़ी संख्या हैं।
(ii). 1902, 1920, 9201, 9210
- 9210 बड़ी संख्या हैं।
प्रत्येक समूह में सबसे बड़ी और सबसे छोटी संख्या
(a). 4536, 4892, 4370, 4452
- सबसे बड़ी संख्या 4892 और सबसे छोटी संख्या 4370 है।
(b). 15623, 15073, 15189, 15800
- सबसे बड़ी संख्या 15800 और सबसे छोटी संख्या 15073 है।
(c). 25286, 25243, 25270, 25210
- सबसे बड़ी संख्या 25286 और सबसे छोटी संख्या 25210 है।
(d). 6895, 23787, 24569, 24659
- सबसे बड़ी संख्या 24659 और सबसे छोटी संख्या 6895 है।
उचित क्रम में खड़े होना
Example:
इनमें कौन सबसे लम्बा है ?
इनमें कौन सबसे छोटा है ?
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- क्या आप इन्हें इनकी लम्बाइयों के बढ़ते हुए क्रम में खड़ा कर सकते हैं ?
- हाँ, हम इन्हें लम्बाइयों के बढ़ते हुए क्रम में खड़ा कर सकते हैं।
160 > 159> 158 > 154
∴ रामहरि सबसे लम्बा है।
154 < 158 < 159 < 160
∴ डोली सबसे छोटी है।
- यदि संख्याएं एक या दो अंको की है तो देख कर बता सकते हैं कि कौन सी संख्या बड़ी और छोटी है।
- यदि संख्याओं में अधिक अंक हैं तो अंको की संख्या के आधार पर तुलना की जा सकती है।
- यदि संख्याओं में अंको की संख्या सामान हो तो सर्वप्रथम बाएं तरफ से अंकों की तुलना करते हैं जिस संख्या का प्रथम बाएं अंक का मान अधिक होगा वह संख्या सबसे बड़ी होगी।
संख्याओं के क्रम
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आरोही क्रम
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आरोही क्रम का मतलब होता है बढ़ते हुए। अर्थात जब भी दिए हुए संख्यावों को बढ़ते हुए क्रम में लिखते हैं तो वह आरोही क्रम होता है। जब संख्याओं को सबसे छोटी संख्या से सबसे बड़ी संख्या में व्यवस्थित किया जाता है, तो संख्यावों का समूह आरोही क्रम कहलाती हैं।
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अवरोही क्रम
जब दो या दो से अधिक भिन्नों को घटते क्रम में सजाया जाता हैं तब भिन्नों के इस क्रम को अवरोही क्रम कहते हैं। अवरोही क्रम में सबसे बड़ा भिन्न सबसे पहले तथा सबसे छोटा भिन्न सबसे अंत में लिखा जाता हैं। अवरोही क्रम को अंग्रेजी में Descending order कहते हैं।
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अंको का स्थानान्तरण
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अंको का स्थानान्तरण का मतलब है एक सांख्य के स्थान पर दुसरी सांख्य को रखना |
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संख्याओं को बनाना
संख्याएँ बनाने के लिए हमें संख्याओं को जोड़ना होगा |
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संख्याओं को जोड़ने का एक तरीका है ‘जोड़ते जाना’। अर्थात आप सबसे बड़ी संख्या से ऊपर की तरफ गिनती शुरू करते हैं और योग प्राप्त करने के लिए एक–एक करके सबसे छोटी संख्या गिनते जाते हैं। यदि आप जोड़ मन में कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर अक्सर जोड़ने का यह सबसे अच्छा तरीका होता है।
Example:
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5831, 8531, 3158, 3851, 8351 ….. आदि, इस प्रकार कुल 24 संख्याएं प्राप्त की जा सकती हैं।
जीरो(0) का महत्व
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अंक गणित में जीरो अद्भुत है ।अकेला हो तो कोई मूल्य नहीं ;इसके पहले एक लग जाए तो जीरो उसका मूल्य बढ़ाते चले जाते है।बीज गणित व ज्योमेट्री में जीरो का वह स्थान है जहां से जरा-सा भी हिले तो धनात्मक या ऋणात्मक भाव पैदा हो जाता है। ज्योमेट्री में यह सबसे बड़े कौण को बनाता है। भौतिकी में इसमें सबसे अधिक ऊर्जा जमा होती है।
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- किसी संख्या को निकटतम सौ तक पूर्णांकित करना
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- (i)दी गई संख्या का दहाई अंक देखिए।
- (ii)यदि दहाई का अंक 5 से कम है, तो दहाई और इकाई के प्रत्येक अंक को 0 से बदलें और अन्य अंकों को वैसे ही रखें जैसे वे हैं।
- (iii) यदि दहाई का अंक 5 या अधिक है, तो सैकडे को 1 से बढ़ाएँ और प्रत्येक अंक को उसके दाईं ओर 0 से बदलें।
- किसी संख्या को निकटतम हजार तक पूर्णांकित करना
- दी गई संख्या का सैकड़ा अंक देखिए।
- यदि सैकड़ा अंक 5 से कम है, तो सैकड़ा, दहाई और इकाई अंक में से प्रत्येक को 0 से बदलें और अन्य अंकों को वैसे ही रखें।
- यदि सैकड़ा अंक 5 या अधिक है, तो हजार मान वाले को 1 से बढ़ाएं और प्रत्येक अंक को उसके दाईं ओर 0 से बदलें।
- योग या अंतर का अनुमान लगाना
- छोटी संख्या का चयन करें।
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- दी गई संख्याओं को छोटी संख्या के उच्चतम स्थानीय मान में पूर्णांकित करें।
- प्रश्न के अनुसार पूर्णांक संख्याओं को जोड़ें या घटाएं।
- उत्पाद का आकलन
- प्रत्येक कारक को उसके निकटतम अधिकतम मान तक पूर्णांकित करें।
- पूर्णांकित किए गए कारकों को गुणा करें।
- भागफल का आकलन
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- भाजक को भाजक के निकटतम गुणज में पूर्णांकित करें ताकि विभाजन आसान हो जाए।
- भागफल प्राप्त करने के लिए विभाजित करें।
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5. रोमन अंक प्रणाली उन प्रणालियों में से एक है जिसमें संख्याओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए कुछ प्रतीकों का उपयोग किया जाता है।
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रोमन अंक में हिंदू-अरबी प्रणाली की संख्या का प्रतिनिधित्व करने के लिए सात प्रतीक हैं।
6. रोमन पद्धति में अंक लिखते समय कुछ नियमों का पालन करना होता है। वे हैं:
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- रोमन अंक में एक प्रतीक की पुनरावृत्ति का अर्थ है जोड़।
- एक प्रतीक को तीन बार से अधिक दोहराया नहीं जाता है। लेकिन प्रतीकों V, L और D को कभी दोहराया नहीं जाता है।
- (iii) यदि अधिक मान के बाईं ओर कम मान का अंक लिखा जाता है, तो परिणामी मान उनके अंतर को ज्ञात करके प्राप्त किया जाता है।
- (iv) यदि अधिक मूल्य के दाईं ओर कम मूल्य का अंक लिखा जाता है, तो परिणामी मूल्य उनका योग ज्ञात करके प्राप्त किया जाता है।
- (v) प्रतीक V, L और D कभी भी अधिक मूल्य के प्रतीक के बाईं ओर नहीं लिखे जाते हैं। दूसरे शब्दों में, V, L और D को कभी भी घटाया नहीं जाता है।
- (vi) प्रतीक I को केवल V और X में से घटाया जा सकता है। प्रतीक X को केवल L, M और C में से घटाया जा सकता है।
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7. कोष्ठक वाले किसी व्यंजक को सरल बनाने के लिए, हम सख्ती से निम्नलिखित क्रम में सरलीकरण करते हैं (BODMAS):
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- कोष्ठक
- का
- विभाजन
- गुणन
- योग
- घटाव
गुणनफल
गुणक से गुण्य में गुणा करने पर जो परिणाम प्राप्त होता में है, उसे गुणनफल कहते हैं।
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भिन्न
क संख्या है जो पूर्ण के किसी भाग को दर्शाती है। भिन्न दो पूर्ण संख्याओं का भागफल है। भिन्न का एक उदाहरण है 3/5 जिसमें 3 अंश कहलाता है और 5 हर कहलाता है।
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Example
एक केक के चार भाग दर्शाए गये हैं। उसमें से एक भाग को निकाल दिया गया है। इसी को दूसरे शब्दों में कहेंगे कि केक का 1/4 भाग काटकर निकाल दिया गया है और 3/4 भाग बचा है।
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संख्याओं का अनुमान
वास्तविक मान के उचित अनुमान को संख्याओ का अनुमान कहा जाता है।
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संख्या संचालन के परिणाम का एक त्वरित, मोटा अनुमान शामिल संख्याओं को पूर्णांकित करके किया जा सकता है।
अनुमान के नियम
- संख्या 1, 2, 3 और 4 से 0 और संख्या 6, 7, 8, 9 से 10 तक पूर्णांकित करके निकटतम दहाई तक संख्याओं का अनुमान लगाया जाता है।
- संख्या 1 से 49 से 0 और संख्या 51 से 99 से 100 तक पूर्णांकित करके निकटतम सैकड़ा तक संख्याओं का अनुमान लगाया जाता है।
- संख्या 1 से 499 से 0 और संख्या 501 से 999 से 1000 तक पूर्णांकित करके निकटतम हजारों में संख्याओं का अनुमान लगाया जाता है।
- अनुमान में आवश्यक सटीकता के लिए मात्रा का अनुमान लगाना शामिल है। हम आवश्यक सटीकता के आधार पर उपरोक्त नियमों को लागू कर सकते हैं।
- हम अनुमान के नियमों को लागू करके भी योग, अंतर और गुणा का अनुमान लगा सकते हैं। हम आवश्यक सटीकता के आधार पर उपरोक्त नियमों को लागू कर सकते हैं और कितनी जल्दी उत्तर का पता लगाया जा सकता है।
भागफल
भाग (Division)
गुणा करने की क्रिया के विपरीत क्रिया को विभाजन (division) या भाग करना कहा जाता है। भाग को ÷ या / चिह्न से प्रदर्शित किया जाता है। जैसे:-
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भाजन गणित में वह क्रिया है जिससे दो संख्याओं का गुणनफल और इन संख्याओं में से एक के दिए रहने पर दूसरी ज्ञात की जाती है। दिए हुए गुणनफल को ‘भाज्य’ (dividend or numerator), दी हुई संख्या को ‘भाजक’ (divisor or denominator) और अभीष्ट संख्या को ‘भागफल’ (quotient) कहते हैं।
भाज्य (Dividend)
भाग करते समय जिस संख्या में भाग दिया जाता हैं, उस संख्या को हम भाज्य (Dividend) कहते हैं।
भाजक (Divisor)
भाग करते समय जिस संख्या से भाग दिया जाता हैं, उस संख्या को हम भाजक (Divisor) कहते हैं।
भागफल (Quotient)
भाग करते समय भाज्य में भाजक का जितनी बार भाग जाता, तो जो संख्या प्राप्त होती है, उस संख्या को हम भागफल (Quotient) कहते हैं।
शेषफल (Reminder)
भाग करते समय भाजक का जो भाग भाज्य से छोटा बचता है, उस संख्या को हम शेषफल (Reminder) कहते हैं।
उदाहरण: 1588 में 5 का भाग करने पर
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